किसी भी तारीख को मैं हो सकता था, वो तारीख भी दोहराई जाती हजारों लाखों बार,
लिहाजा किसी एक तारीख का तुमको याद दिलाना कुछ भी नहीं,
मैंने तुमको लाखों शब्द कहे होंगे, लेकिन एक भी ऐसा नहीं जो कहा न गया हो,
मैं तुमको जीना चाहता था इस तरह से जैसे किसी को जिया न गया हो,
लेकिन ऐसा कोई भी तरीका मैं खोज नहीं पाया।
हर बार याद आ गयी किसी और की जो इस तरह से गुजर गया।
जिंदगी भर किसी काम को करना चाहा इस तरह, जो सिर्फ मैं ही कर पाऊ
कोई और न सोच सके न कर सके।
लेकिन मैं ऐसा कुछ भी न कर पाया
जीना एक इंसान के जिस्म में सबसे मुश्किल था
और मैं इसे आसान बनने में बीत गया एक पूरा जीवन मेरा या तुम्हारा।
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Tuesday, December 30, 2008
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